M.D.M PUBLIC SCHOOL JANI KHURD
HOME ASSIGNMENT - 2
SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 10th
SUBJECT – हिंदी
CLASS TEACHER - RAJ KUMAR SIR
CLASS TEACHER - RAJ KUMAR SIR
अलंकार :- अलंकार में "अलम" और "कार" दो शब्द है। "अलम" का अर्थ है भूषण या सजावट। अर्थात जो अलंकृत या घोषित करें वह अलंकार है। स्त्रियां अपने साज श्रृंगार के लिए आभूषणों का प्रयोग करती हैं, अतएव आभूषण अलंकार कहलाते हैं। ठीक इसी प्रकार कविता कामिनी अपने श्रृंगार और सजावट के लिए जिन तत्वों का उपयोग प्रयोग करती है वह अलंकार कहलाते हैं।
शब्द और अर्थ की शोभा बढ़ाने वाले धर्म (जिस गुण के द्वारा उपमेय तथा उपमान में समानता स्थापित की जाय) को अलंकार कहते हैं।
अलंकार के भेद :-
(1) अर्थालंकार
(2) शब्दालंकार
(1) अर्थालंकार
जब किसी वाक्य या छंद को अर्थो के आधार पर सजाया जाता है तो ऐसे अलंकार को अर्थालंकार कहते हैं। अर्थालंकार निम्न प्रकार के होते हैं।
उपमा अलंकार
जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना या समानता का वर्णन किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के स्वाभाव, स्थिति, रूप और गुण से की जाय तो वहाँ उपमा अलंकार होता है।जैसे - शीला के गाल चंपा जैसे गोरे हैं।
उपमा अलंकार के उदाहरण-
1-सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
2-पीपर पात सरिस मन डोला।
3-चाँद जैसे मुखरे पर बिंदियाँ सितारा।
4-नागिन सा रूप है तेरा।
इसके चार अंग है।
उपमेय- जिस व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जा रही हो।
उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाए।
सामान्य धर्म- वह गुण जिससे दोनों व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए।
वाचक शब्द- वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो रहा हो, जैसे -सा,सी,से,सरिस,ते आदि।
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
उपमान-जिस व्यक्ति या वस्तु से तुलना की जाए।
सामान्य धर्म- वह गुण जिससे दोनों व्यक्ति या वस्तु की तुलना की जाए।
वाचक शब्द- वह शब्द जो तुलना करने के लिए उपयोग हो रहा हो, जैसे -सा,सी,से,सरिस,ते आदि।
रूपक अलंकार
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है। अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।जैसे- ये रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें, इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी।
उदाहरण-
1-चरण कमल बन्दों हरिराई।
2-सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
3-अपरस रहत स्नेह तगा तैं, प्रीति-नदी में पाऊं न बोरयों।
4-मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों।
5-उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
2-सब प्राणियों के मत्त मनोमयूर अहा नचा रहा।
3-अपरस रहत स्नेह तगा तैं, प्रीति-नदी में पाऊं न बोरयों।
4-मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों।
5-उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।
उत्प्रेक्षा अलंकार
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना प्रकट की जाये वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसमें मानों, मनु, जानों, जनहु आदि शब्द लगे रहते है।
जैसे -उसकाल मारे क्रोध के तनु काँपने उनका लगा।
मानों हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।
यहाँ मानो शब्द का प्रयोग हुआ है, और तन (उपमेय) में उपमान (सागर) की संभावना प्रकट की गई है।
पहचान- जहां एक व्यक्ति या वस्तु के समान(एक जैसे) होने की संभावना या कल्पना व्यक्त की जाए।कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
उदाहरण-
1-सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
बाहर सोहत मनु पिये, दावानल की ज्वाल।।
2-पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के
3-कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
3-कल पार्टी में मुन्नी बहुत खूबसूरत लग रही थी, मानो सनी लियोन आ गई हो।
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