परमाणु के मूल कण तथा नाभिक ATOM CLASS 11

HOME ASSIGNMENT - 2
SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 11th


SUBJECT – Chemistry 
CLASS  TEACHER - RAJ KUMAR SIR

परमाणु के मूल कण तथा नाभिक 


 परमाणु के मूल कण :- परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्तम कण है जो उस तत्व की रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है | 

अब से लगभग 100 वर्षो पहले तक डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार परमाणु को अविभाज्य माना जाता था पर अब यह सिद्ध हो चुका है कि परमाणु विभाज्य है उसमे कुछ छोटे कण पाए जाते है जिन्हे परमाणु के मौलिक कण कहते है , ये कण परमाणु नहीं होते | 
परमाणु के मौलिक कण है -  
(1) इलेक्ट्रॉन 
(2) प्रोटोन 
(3) न्यूट्रॉन परमाणु 

परमाणु इन तीनो कणो से मिलकर बना होता है | उदासीन परमाणु मे इलेक्ट्रोनो व प्रोटॉनों की संख्या सामान होती है परन्तु न्यूट्रॉनो की संख्या में अंतर होता है | 
परमाणु में इनके आलावा कुछ अन्य कण भी होते है 
जैसे :- पॉजिट्रॉन , न्यूट्रिनो , एन्टी न्यूट्रिनो और मेसॉन आदि भी होते है |  
परमाणु संरचना में  इन कणो का महत्त्व बहुत कम है क्योकि ये कण अस्थाई है | 
इलेक्ट्रॉन , प्रोटोन और न्यूट्रॉन के प्रमुख लक्षण - 





प्रोटोन व न्यूट्रॉन के द्रव्यमान लगभग बराबर होते है तथा इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान प्रोट्रोन व न्यूट्रॉन के द्रव्यमान की तुलना में काफी कम होता है | 


  • इलेक्ट्रॉन 
प्रतिक -  -1e0


खोजकर्ता - जे जे टॉमसन 
आवेश - -1.6*10-19    कूलॉम 
द्रव्यमान - 9.1095*10-28    ग्राम 


  • प्रोटोन 

प्रतिक - 1H1
खोजकर्ता - रदरफोर्ड 
आवेश - +1.6*10-19      कूलॉम 
द्रव्यमान - 1.6726*10-28    ग्राम 
  • न्यूट्रॉन 
प्रतिक - n  
खोजकर्ता - चैडविक 
आवेश - 0 (उदासीन)
द्रव्यमान - +1.6750*10-24      कूलॉम 

इलेक्ट्रॉन की खोज :- 
सन 1859 में जूलियस प्लकर ने गैसों में कम दाब पर विद्युत प्रवाहित की | लगभग 60 सेमी लम्बी कच की नलिका में लगभग 0.001 अर्थात 10-3
 मि. मी. पारे के दाब पर किसी गैस को लिया गया एवं नाली के दोनों किनारों पर दो इलेक्ट्रोड लगाए गए | दोनों इलेक्ट्रोडो के बीच किसी उच्च विभव स्त्रोत की सहायता से लगभग 10,000  वोल्ट से  30,000 वोल्ट तक का विभवान्तर प्रयुक्त करने पर यह पाया गया कि काँच की नली में ऋणात्मक इलेक्ट्रोड के सामने वाली दीवार पर हरे रंग के प्रकाश की चमक उत्पन्न होती है | इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि कैथोड से कुछ किरणें निकल कर सामने वाली दीवार पर पड़ती हैं | इन किरणों को जे० जे० टॉमसन ने कैथोड किरणें नाम दिया | काँच की नलिका को जिसमें विद्युत का विसर्जन होता है , विसर्जन नलिका कहते है | 



कैथोड किरणों के गुण :- 

कैथोड किरणों के गुण निम्नलिखित है - 
(1) कैथोड किरणे सीधी रेखाओं में चलती है | 
(2) कैथोड किरणे सूक्षम द्रव्य कणो से मिलकर बनी होती है | 
(3) कैथोड किरणें विधुतीय एवं चुम्बकीय क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है |