पाठ-10 प्रकाश का परावर्तन व अपवर्तन class 10 by om education point


M.D.M PUBLIC SCHOOL JANI KHURD
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SESSION – 2020 – 2021
CLASS – 10th

SUBJECT – PHYSICS
SUBJECT  TEACHER - RAJ KUMAR SIR


पाठ  - 10     प्रकाश का परावर्तन व अपवर्तन  
 प्रकाश का परावर्तन व अपवर्तन 

प्रकाश (Light) :-  प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जिसकी सहायता से हमें वस्तुए दिखाई देती  है | जब प्रकाश किसी वस्तु पर आपतित होता है ,तो वह वस्तु से परावर्तित होकर हमारी आँखों तक पहुँचता है जिसके फलसवरूप हमें वस्तुए दिखाई देती है |



प्रकाश के गुण (Properties Of Light) :-

(i) प्रकाश स्वम अदृस्य होता है | परन्तु  इसकी उपपस्थिति मे वस्तुए दिखाई देती है  |
(ii) साधारणतया प्रकाश सरल रेखा मे गमन करता है |
(iii) प्रकाश विधुत चुम्बकीय तरंगो के रूप मे गमन करता है  |
(iv) प्रकाश पारदर्शी माध्यमो (  जैसे -  काँच , वायु  , आदि  )  मे से गुजर सकता हैं
(v )  प्रकाश की चाल निर्वात मे 3 X 10होती हैं|
(vi) जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम मे जाता हैं तो अपने मार्ग से विचलित हों जाता हैं |
(vii) जब प्रकाश किसी चिकने व पोलिशदार तल से टकराकर वापस उसी माध्यम मे चला जाता हैं |

प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) :- जब प्रकाश किसी चिकने या पॉलिशदार तल से टकराता हैं तो उस तल से टकराकर पुनः उसी माध्यम मे वापस लौट जाता हैं | इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं |



प्रकाश परावर्तन के नियम (Law Of Reflection) :-

प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं :-

( 1 ) आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनो एक ही तल मे होते हैं |


( 2 ) आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है |

परावर्तन के प्रकार (Kind of Reflection) :-

(1) नियमित  परावर्तन

(2) अनियमित  परावर्तन

(1) नियमित  परावर्तन (Continuous Reflection) :- जब प्रकाश का समांतर किसी चिकने या पॉलिशदार तल से टकराता है और परावर्तन के बाद प्रकाश किरणें समान्तर होती है उसे नियमित परावर्तन कहते है |




(2) अनियमित परावर्तन (Discontinuous Reflection) :-  जब प्रकाश का परावर्तन किसी खुरदरे पृष्ठ से होता है ,तो प्रकाश किरणे परावर्तन के बाद विभिन्न दिशाओ मे फैल जाती है (एक दूसरे के समान्तर नहीं होती) इस प्रकार के परावर्तन को अनियमित परावर्तन कहते है |




प्रतिबिम्ब (Image) :- वस्तु के किसी बिंदु से चलने वाली प्रकाश किरणे परावर्तन या अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है या मिलती प्रतीत होती है, उस दूसरे बिंदु को प्रथम बिंदु का प्रतिबिम्ब कहते है | जब किसी वस्तु को दर्पण के सामने रखा जाता है, तो दर्पण मे उस वस्तु आकृति बन जाती है, ये आकृति वस्तु का प्रतिबिम्ब कहलाती है |


प्रतिबिम्ब निम्नलिखित दो प्रकार के होते है - 

(a) वास्तविक प्रतिबिम्ब (Real Image) :- जब किसी बिंदु वस्तु से चलने वाली किरणे परावर्तन के बाद किसी दूसरे बिंदु पर वास्तव मे मिलती है | तो इस दूसरे बिंदु पर बने वस्तु के प्रतिबिम्ब को वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते है | इस प्रकार के प्रतिबिम्ब को परदे पर प्राप्त किया जा सकता है |  

  


(b) आभासी प्रतिबिम्ब (Virtual Image) :- जब किसी बिंदु वस्तु  से चलने वाली किरणे परावर्तन के बाद किसी बिंदु पर वास्तव में नहीं मिलती है परन्तु दूसरे बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है तो इस बिंदु पर बने प्रतिबिम्ब को उस बिंदु वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब कहते है | इस प्रकार के प्रतिबिम्ब को परदे पर नहीं लिया जा सकता लेकिन इसका फोटो लिया जा सकता है |





गोलीय दर्पण (Spherical Image) :- यदि किसी कांच के खोखले गोले को काटकर उसके एक पृष्ठ पर चाँदी की पालिश या कलाई की जाय तो प्राप्त दर्पण गोलिय दर्पण कहलाता है, अर्थात ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तक पृष्ठ  गोलीय हो , गोलीय दर्पण कहलाता  है|






गोलिय दर्पण दो प्रकार के होते है - 

(1) अवतल दर्पण (concave mirror) :- वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर दबा होता है अर्थात परावर्तन दबे हुए तल से होता है , अवतल दर्पण कहलाता है |





(2) उत्तल दर्पण (convex mirror) :- वह गोलिय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर उभरा होता है अर्थात परावर्तन उभरे हुए तल से होता है , उत्तल दर्पण कहलाता है






गोलीय दर्पणों से सम्बंधित कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं - 

( i ) दर्पण का ध्रुव (Pole) :- गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते है | इसे P से प्रदर्शित करते है | 



( j ) वक्रता केंद्र (Center of Curvature) :- गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस खोखले भाग का होता है उस गोले के केंद्र को दर्पण का वक्रता केंद्र कहते है | इसे C से प्रदर्शित करते है |




( k  ) वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature) :- उस गोले की त्रिज्या जिसका की दर्पण एक भाग है | उस दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है | इसे R से दर्शाते है | 



(l ) अभिलम्ब :-  गोलिय दर्पण के किसी बिंदु को वक्रता केंद्र से मिलाने वाली रेखा इस बिंदु पर अभिलम्ब होती है | 
(m) मुख्य अक्ष :- गोलिय दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता केंद्र को मिलाने वाली सीधी रेखा , गोलीय दर्पण की मुख्य अक्ष कहलाती है | 

(n) दर्पण का द्वारक :- गोलिय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के व्यास को दर्पण का द्वारक कहते है | 

(o) मुख्य फोकस :- गोलीय दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणे गोलीय दर्पण से परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से होकर जाती है या जाती हुई प्रतीत होती है इस बिंदु को दर्पण का मुख्य फोकस अथवा फोकस कहते है | 
अवतल दर्पण से परावर्तित किरणे फोकस f पर वास्तव में मिलती है अर्थात अवतल दर्पण के लिये फोकस वास्तविक होता है तथा उत्तल दर्पण से परावर्तित किरणे फोकस f से आती हुई प्रतीत होती है अर्थात उत्तल  फोकस के लिय फोकस आभासी होता है | 






(p ) फोकस दूरी  - गोलिय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते है | इसे f से दर्शाते है | 






(q ) फोकस तल :- वह तल जो मुख्य फोकस से गुजरता है तथा मुख्य अक्ष के लंबवत होता है , दर्पण का फोकस तल कहलाता है | 

दर्पणों द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के नियम :-

(1) दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के बाद फोकस बिंदु से होकर ( अवतल दर्पण मे ) चली जाती है या आती हुई प्रतीत ( उत्तल दर्पण मे ) होती है | 





(2) दर्पण के फोकस बिंदु से होकर आने ( अवतल दर्पण मे ) वाली या होकर आती हुई प्रतीत ( उत्तल दर्पण मे ) होने वाली किरण परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है | 






(3) दर्पण के वक्रता केंद्र से होकर आने वाली किरण परावर्तन के पश्चात उसी मार्ग से वापस लौट जाती है | 








नोट :-  गोलीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के तीन नियम है ,परन्तु प्रतिबिम्ब बनने के लिए किन्ही दो नियमों का प्रयोग किया जाता है |

अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना :-






उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब :- (किरण आरेख)





चिन्ह परिपाटी :- 
(1) सभी दूरिया दर्पण के ध्रुव P से मापी जाती है | 
(2) दर्पण पर प्रकाश किरणे सदैव बाई ओर से डाली जाती है | 
(3) आपतित किरण की दिशा मे मापी गई दूरिया धनात्मक होती है व आपतित किरण की विपरीत दिशा में ऋणात्मक होती है | 
(4) मुख्य अक्ष के ऊपर सभी दूरिया धनात्मक व नीचे की ओर ऋणात्मक होती है | 



वक्रता त्रिज्या व फोकस दूरी में सम्बन्ध :- 
किसी गोलीय दर्पण में फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है | या वक्रता त्रिज्या फोकस दूरी की दोगुनी होती है |  

f  = R / 2
फोकस दुरी   =   वक्रता त्रिज्या  /  2 


 दर्पणों के लिए  u ,v, f  में सम्बन्ध :- 

जँहा पर 
  • f  = फोकस दूरी 
  • u = दर्पण के ध्रुव से वस्तु तक की दूरी 
  • v = दर्पण के ध्रुव से प्रतिबिम्ब की दूरी 

रेखीय आवर्धन :- किसी गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष के लंबवत नापी गई प्रतिबिम्ब की लम्बाई और वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन m कहते है | 




 प्रकाश का अपवर्तन 

 किसी समांग माध्यम में प्रकाश की किरणे एक सरल रेखा में गमन करती है | परन्तु जब प्रकाश की किरणे एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है ,तो प्रकाश की किरण अपने मार्ग से विचलित हो जाती है यह घटना प्रकाश का अपवर्तन कहलाती है | 
    नोट :- प्रकाश के अपवर्तन के कारण प्रकाश की चाल का विभिन माध्यमों में अलग - अलग होती है | 







    जैसा की आप चित्र मे देख सकते  है कि जब प्रकाश की किरण किसी दूसरे माध्यम में जाती है तो वह अपने मार्ग से थोड़ा सा हट जाती है | ऐसी घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते है | 
    प्रकाश के अपवर्तन से सम्बंधित परिभाषाये निम्नलखित है :- 

    (i) आपतित किरण :- पहले माध्यम से चलने वाली प्रकाश की किरण को आपतित किरण कहते है | 



    (j) अपवर्तित किरण : - दूसरे माध्यम में चलने वाली प्रकाश की किरण को अपवर्तित किरण कहते है | 





    (k) आपतन बिंदु :- जिस बिंदु पर आपतित किरण आकर टकराती है उस बिंदु को आप्तन बिंदु कहते है | 


    अपवर्तन के नियम :-
    अपवर्तन के निम्नलिखित दो नियम है :- 

    पहला नियम :- एक ही रंग के प्रकाश के लिए जब प्रकाश किसी एक समांग माध्यम से किसी दूसरे समांग माध्यम में प्रवेश करता है तो आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या का अनुपात एक नियतांक होता है | 



    जहा n एक नियतांक है | जिसे पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते है | इस नियम को स्नैल का नियम भी कहते है | 

    दूसरा नियम :- आपतित किरण , आपतन बिंदु पर अभिलम्ब और अपवर्तित किरण तीनो एक ही तल में होते है |

    क्रांतिक कोण (Critical Angle) :- जब प्रकाश किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रहा हो तो | आप्तन कोण का मान धीरे धीरे बढ़ाते जाने पर एक स्थिति ऐसी आती है जब विरल माध्यम मे बना आपतन कोण का मान 90 अंश हो जाता है | अर्थात संघन माध्यम मे बना वह आपतन कोण जिसके लिए विरल माध्यम में बना अपवर्तन कोण 90 अंश हो क्रांतिक कोण कहलाता है | 






    पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection) :- जब प्रकश संघन माध्यम से विरल माध्यम में जा रहा हो तो आपतन कोण को धीरे धीरे बढ़ाते जाने पर एक स्थिति ऐसी आ जाती है| जब प्रकाश विरल माध्यम मे बिलकुल नहीं जा पाता बल्कि प्रकाश का सम्पूर्ण भाग विरल माध्यम में ही वापस लौट जाता है | इस घटना को प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते है | 



    अपवर्तनांक का प्रकाश की चाल से सम्बन्ध :-
    एक माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक उन माध्यमों में प्रकाश की चालो के अनुपात के बराबर होता है | 
    जैसे :- वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक 
    ang  =  वायु में प्रकाश की चाल / काँच में प्रकाश की चाल 

    गोलीय दर्पणों के उपयोग :- 

    (A) अवतल दर्पण के उपयोग :- 
    1.  दाढ़ी बनाने में अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है | 
    2.  कान , नांक व गले ली जाँच करने मे | 
    3. परावर्तक के रूप मे इसका उपयोग किया जाता है | 
    4. दूरदर्शी मे इसका उपयोग किया जाता है | 
    (B) उत्तल दर्पण के उपयोग :- 
    1. गाड़ियों के साइड मिरर के रूप मे | 
    2. सड़को पर लगे लैम्पो मे पर्वतक के रूप मे | 

     लेंस (Lens) 
    दो गोलीय पृष्ठों से ( अथवा एक गोलीय व एक समतल पृष्ठ से ) घिरा पारदर्शी माध्यम लेंस कहलाता है | 



    लेंस दो प्रकार के होते है - 
    (1) उत्तल लेंस(Convex Lens) :- उत्तल लेंस किनारो पर से पतला होता है बीच मे से मोटा होता है | इस लेंस को अभिसारी लेंस कहते है | 



    (2) अवतल लेंस (Concave Lens) :- अवतल लेंस किनारो पर से मोटा व बीच से पतला होता है | इस लेंस को अपसारी लेंस कहते है | 




    लेंसों से सम्बंधित कुछ परिभाषाये :- 

    (1) मुख्य अक्ष (Principal Axis) :- लेंस के दोनों गोलीय पृष्ठों के वक्रता केन्द्रों से गुजरकर जाने वाली ऋजु रेखा को मुख्य अक्ष कहते है | 



    (2) प्रकाशिक केन्द्र (Optical Center) :- लेंस के बीच में वह बिंदु जिससे प्रकाश किरण बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती लेंस का प्रकाशिक केंद्र कहलाता है | 

    (3) फोकस (Focus) :- लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर आने वाली किरणे अपवर्तित होकर मुख्य अक्ष के जिस बिंदु से होकर जाती है (प्रतीत होती है ) लेंस का फोकस कहलाता है | 

    (4) फोकस दुरी (focal Length) :- लेंस के प्रकाशिक केंद्र व फोकस बिंदू के बीच की दूरी को लेंस की फोकस दूरी कहते है | 


     लेंस की अभिसारी व अपसारी प्रकृति 

    लेंसों द्वारा प्रकाश की समान्तर किरणों की एक बिन्दु पर एकत्रित करने या फैलाने की क्रिया क्रमशः लेंसों की अभिसारी व अपसारी प्रकृति कहलाती है | 
    (1) लेंस की अभिसारी प्रकृति (Diverging Lens) :- जो लेंस मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली सभी किरणों को एक निश्चित बिंदु पर फोकस कर देता है उस लेंस को अभिसारी लेंस व लेंस की इस प्रकृति को अभिसारी प्रकृति कहते है | उत्तल लेंस अभिसारी प्रकृति का होता है | 




    (2) लेंस की अपसारी प्रकृति (Converging Lens) :- जो लेंस मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणों को फैला देता है उस लेंस को अपसारी लेंस व लेंस की इस प्रकृति को अपसारी प्रकृति कहते है | अवतल लेंस अपसारी प्रकृति का होता है | 






    लेंसों द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना :- 
    लेंसों द्वारा प्रतिबिम्ब बनाने के तीन नियम है परन्तु प्रतिबिम्ब बनाने के लिए इनमे से किन्ही दो का प्रयोग किया जाता है | 

    (1) प्रथम नियम :- लेंस के प्रथम फोकस से होकर जाने वाली (उत्तल लेंस) या प्रथम मुख्य फोकस की ओर जाती प्रतीत होने वाली (अवतल लेंस) प्रकाश की किरणे अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है | 





    (2) दूसरा नियम :- लेंस की मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली प्रकाश की किरणे अपवर्तन के बाद द्वितीय फोकस से होकर जाती है (उत्तल लेंस) या द्वितीय फोकस से आती हुई प्रतीत होती है (अवतल लेंस) | 





    (3) तीसरा नियम :- लेंस के प्रकासिक केंद्र से होकर जाने वाली प्रकाश की किरणे अपवर्तन के बाद बिना विचलित हुए सीधी निकल जाती है | 




     उत्तल लेंस द्वारा बने प्रतिबिम्ब :- (किरण आरेख) 


    अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिम्ब :- (किरण आरेख)





    चिन्ह परिपाटी (Sign Convention) :-

    (1) सभी दूरिया लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापी जाती है | 
    (2) लेंस पर प्रकाश किरणे सदैव बाई ओर से डाली जाती है | 
    (3) आपतित किरण की दिशा मे मापी गई दूरिया धनात्मक होती है व आपतित किरण की विपरीत दिशा में ऋणात्मक होती है | 
    (4) मुख्य अक्ष के ऊपर सभी दूरिया धनात्मक व नीचे की और ऋणात्मक होती है | 

     लेंसों के लिए u , v , f  मे सम्बन्ध (Relation Between u,v,f) :- 



    रेखीय आवर्धन (Linear Magnification) :- लेंस के मुख्य अक्ष के लंबवत नापी गई प्रतिबिम्ब की लम्बाई और वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन m कहते है |



    लेंस की क्षमता (Power Of Lens) :- लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अभिसारित (एकत्रित) व अपसारित (फ़ैलाने) करने की सामर्थ्य लेंस की क्षमता कहते है | यह फोकस दुरी के प्रतिलोम के बराबर होती है जबकि फोकस दुरी मीटर में हो | इसका 
    मात्रक डायोप्टर है | 








    Q 1. समतल दर्पण की फोकस दूरी है |
             (क) शून्य                (ख) अनन्त                (ग)  -25 सेमी               (घ) 25 सेमी 
    Q 2. समतल दर्पण के सामने एक वस्तु दर्पण से 10 सेमी की दुरी पर रखी गई है तो दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी क्या होगी | 
            (क) 5 सेमी                   (ख) 10 सेमी            (ग)  20 सेमी                (घ) 0 
    Q 3. समतल दर्पण द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का आवर्धन होता है | 
              (क) 1                          (ख) 1 से कम         (ग)  1 से अधिक           (घ) अनंत 
    Q 4. किसका दृष्टि क्षेत्र सबसे अधिक होता है | 
             (क) समतल दर्पण         (ख) उत्तल दर्पण   (ग) अवतल दर्पण         (घ) उत्तल लेंस  
    Q 5. दर्पण की फोकस दूरी f तथा वक्रता त्रिज्या R के बिच सम्बन्ध है | 
              (क) f = R                    (ख) f = R / 2         (ग)  2 f = R                (घ) f = 2R 
    Q 6. एक उत्तल दर्पण की फोकस दूरी 12 सेमी है , दर्पण के उत्तल पृष्ठ की की वक्रता त्रिज्या होगी 
              (क) 6 सेमी                   (ख) 12 सेमी          (ग)  18 सेमी                 (घ) 24 सेमी 
    Q 7. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 सेमी है | इसकी फोकस दूरी होगी | 
              (क) -20 सेमी                (ख) -10 सेमी        (ग)  40 सेमी                (घ) 10 सेमी 
    Q 8. एक अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 12 सेमी है , तो इसकी फोकस दूरी होगी | 
             (क) 24 सेमी                (ख) -24 सेमी        (ग)  -6 सेमी                 (घ) 6 सेमी 
    Q 9. यदि किसी वस्तु को एक दर्पण के सामने निकट रखने पर प्रतिबिम्ब सीधा बने , किन्तु दूर रखने पर प्रतिबिम्ब उल्टा बने तो वह दर्पण होगा | 
            (क) समतल दर्पण         (ख) अवतल दर्पण  (ग)  उत्तल दर्पण        (घ) इनमे से कोई नहीं 
    Q 10. अवतल दर्पण द्वारा किसी वस्तु का सीधा व बड़ा प्रतिबिम्ब बनाने के लिए रखना होगा | 
            (क) दर्पण के वक्रता केन्द्र C पर        
            (ख) दर्पण के फोकस बिंदु F पर      
            (ग)  दर्पण के वक्रता केन्द्र C और उसके फोकस बिन्दु F के बीच में 
            (घ)  दर्पण के ध्रुव P और उसके फोकस बिन्दु F के बीच में 
    Q 11. किसी दर्पण से आप चाहे कितनी ही दूरी पर खड़े हो , आपका प्रतिबिम्ब सदैव सीधा प्रतीत होता है , तो वह दर्पण होगा | 
              (क) केवल समतल   (ख) केवल अवतल   (ग) केवल उत्तल   (घ) समतल तथा उत्तल दर्पण 

    Q 12. अनंत एवं उत्तल दर्पण के ध्रुव P के बीच राखी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ और किस प्रकृति का होगा | 
                   (क) दर्पण के पीछे , P एवं F के बीच , आभासी एवं सीधा 
                   (ख)  दर्पण के पीछे , P एवं F के बीच , आभासी एवं उल्टा 
                    (ग)  दर्पण के सामने , वास्तविक एवं सीधा  
                    (घ)  दर्पण के सामने , आभासी एवं सीधा 
    Q 13. टॉर्चों , सर्चलाइटो तथा वाहनों की हेडलाइटों में बल्ब कहाँ लगा होता है | 
                   (क) परावर्तक  ध्रुव एवं फोकस के बीच 
                   (ख)  परावर्तक के फोकस के अत्यधिक निकट 
                    (ग)  परावर्तक के फोकस एवं वक्रता के बीच  
                    (घ)  परावर्तक के वक्रता केंद्र पर 
    Q 14. किसी 10 सेमी फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण के सामने 20 सेमी की दूरी पर एक वस्तु रखी है , तो उस वस्तु का प्रतिबिम्ब 
                   (क) दर्पण के पीछे , P एवं F के बीच , आभासी एवं सीधा 
                   (ख)  दर्पण के पीछे , P एवं F के बीच , आभासी एवं उल्टा 
                    (ग)  दर्पण के सामने , वास्तविक एवं सीधा  
                    (घ)  दर्पण के सामने , आभासी एवं सीधा | 
    Q 15. दो माध्यमो के सीमा पृष्ठ पर एक प्रकाश किरण लम्बवत आपतित होती है , तो अपवर्तन कोण होगा |  
                 (क) 0                    (ख) 45                  (ग)  60                 (घ) 90 
    Q 16. यदि 1.0 अपवर्तनांक का एक पारदर्शी पदार्थ निर्वात में रखा है | निर्वात से होकर उस पदार्थ में प्रवेश करने वाली एक प्रकाश की किरण सतह पर विचलित होकर अभिलम्ब से 
                 
                 (क) दूर हट जाएगी                          (ख) समीप जाएगी 
                 (ग)  अविचलित रहेगी                     (घ) अभिलम्ब की दिशा में जाएगी 
    Q 17. वायु में प्रकाश की चाल 3 x 108 मी / से है , जबकि एक पदार्थ में इसकी चाल 1.5 X 108 मी / से  जाती है , तो प्रदार्थ का अपवर्तनांक है | 
               (क) 3                       (ख) 5                        (ग)  0. 5                         (घ) 2   
    Q 18. वायु में प्रकाश की चाल 3 x 108 मी / से है | 3 / 2 अपवर्तनांक वाले काँच में प्रकाश की चाल  होगी | 
             (क) 2 x 108 मी / से       (ख) 3 x 108 मी / से    (ग)  4.5 x 108 मी / से      (घ) 1x 108 मी / से

    Q 19. वायु के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक 3 / 2 है , तो काँच के सापेक्ष वायु का अपवर्तनांक क्या होगा | 
              (क) 1 / 3                     (ख) 1 / 2                   (ग) 2 / 3                        (घ) 3 / 4 
    Q 20. निम्न में से लेन्स बनाने में कौन सा पदार्थ प्रयोग नहीं किया जा सकता जा सकता | 
               (क) जल                      (ख) काँच                  (ग) मिटटी                      (घ) प्लास्टिक  


    LESSON COMPLETE

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